सहारा एक दूसरे का
सहारा एक दूसरे का
सम्बंधों के बंध न छूटें,
आओ, कुछ पल संवाद करें।
एक सहारा बन दूजे का-
मानव-जीवन आबाद करें।।
जीवन-सरिता बहती जाए,
जल की धार न रुकने पाए।
स्नेह-नीर को सतत बहा कर-
अनुराग-गीत का नाद करें।।
मानव-जीवन आबाद करें।।
राग-द्वेष-संघर्ष जातिगत,
सोच से मुक्ति पा लेना है।
बना सहारा प्रेम-डोर को-
नहीं कोई अब फ़साद करें।।
मानव-जीवन आबाद करें।।
जीवन मिला भाग्य से जग में,
मानव अनुपम सृष्टि धरा की।
श्रेष्ठ प्राणियों का राजा ये-
इसे न ऐसे बरबाद करें।।
मानव-जीवन आबाद करें।।
परोपकार सुधर्म जगत में,
सबसे बड़ा यही शुभ चिंतन।
अपनी वसुधा सकल एक कुल-
आ, देश सभी आज़ाद करें।।
मानव-जीवन आबाद करें।।
भूल भुलाकर कटुता सारी,
कहें अलविदा अब रिपुता को।
करें सफल यह जीवन अपना-
कुछ न कभी भी प्रतिवाद करें।।
मानव-जीवन आबाद करें।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Gunjan Kamal
09-Sep-2023 03:21 PM
बहुत खूब
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
09-Sep-2023 07:27 AM
सुन्दर सृजन
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Reena yadav
08-Sep-2023 11:18 PM
👍👍
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